Friday, December 25, 2009

Merry Christmas !!



candles

Aahhh.... bahut hi pyaari wishes mili abhi , a best and lovely day for me... now its a party time so lets celebrate




cake






flowers , chocolates




and



now



MERRY  CHRISTMAS !!



Wednesday, December 23, 2009

One wish...

Aaj main jab khaali baithi kuch poetry padh rahi thi ek dum se meri nigaah kuch 7-8 line per padi jismein likha tha


   If i could have just one wish                                          
I would wish to wake up everyday
to the sound of your breath on my neck
the warmth of your lips on my cheek
the touch of your fingers on my skin
and the feel of your heart beating with mine..
konwing tha I could never find that feeling
with anyone other than you.... 


Ye kuch line maine kahin padhi thi aur apne paas likh kar rakhi thi..

Tuesday, December 22, 2009

एक सच ..

   हमेशा की तरह आज फिर मैं आपके साथ हूँ ... कहाँ? यहाँ... जहाँ मैं अपने मन की हर बात आपसे कहती हूँ और आप .... आप अपने चेहरे पर अपना हाथ रख, आँखों मैं उम्मीद के साथ मेरा इंतज़ार करते हैं ( हा हा हा ) बहुत मज़ाक करने लगी हूँ ना मैं ?  

   क्या करू जब तक मैं अपनी तारीफ़ नहीं कर देती मेरा दिन नहीं गुज़रता. चलो ये भी छोड़ो तारीफ़ किये बिना तो मन फिर भी लग जाता है पर आप सब के बिना तो बिल्कुल भी मन नहीं लगता ... अब हंसिये हाँ हाँ कब क्यों मुस्कुराएंगे ? अब तो आपकी तारीफ़ हो रही है ना .. बस हाँ बस

                                                                     

                                                          

आप भी सोच रहे है ना ये Sushmita को आज हो क्या गया? बड़ी ही अजीब है ये लड़की, कभी  कहती है AISE  NAA  JAAO , कभी कहती है KAASH ... ,कभी लड़ती है , कभी कहती है TERI JUSTAJOO , कभी कहती है बहुत खुश हूँ , कभी कहती है SAJINI , कभी KYA KAHU , और पता नहीं आज क्या कहने वाली है ... कुछ ही  दिन में हमे ही पागल कर देगी .

वैसे मैं आज कुछ सोच रही थी ,वो यह कि.... बताऊ ..??? बताओ बताओ ? बताऊ क्या ?



हा हा हा


वो यह कि अगर ऐसा होता तो कैसा होता ,, मतलब अगर मैं ना होती तो इस ब्लॉग का क्या होता (हा हा हा )


     हममम .. जी नहीं मैं सोच रही थी कि क्यों ना मैं वापस से रंगों कि दुनिया में चली जाऊ . रंगों कि दुनिया जहाँ हर वक़्त आपका दिमाग रंगों के साथ जुड़ा हुआ होता है, नहीं समझे?अरे भई रंगों की दुनिया मतलब हाथ में ब्रुश और सामने एक कैन्वस और आपकी सोच आपकी कल्पना आपके सामने उतर कर कैन्वस पर पहुँच जाती है.
    मैं रंगों के साथ खेलना चाहती हूँ. ऐसे रंग जो मुझे अपने साथ खेलने के लिए मजबूर करते है और उन्ही के साथ मैं खुश भी होती हूँ . जून 2007 में मैं 1 महीना pencil और sketch file के साथ रहती थी और रंगों के साथ friendship कर ली थी क्यूंकि उस समय आप लोग नहीं थे ना ......सब का अपना अपना एक शौक होता है मेरा भी है कुछ अलग और creative activity like painting sketching .


      मुझे याद आ रहा है उन दिनों 12th का result आया था और मैंने Delhi college of fine Art में addmission लेना था जिसके लिए मुझे entrance exam clear करना था जिसके लिए मुझे बहुत मेहनत करनी थी. मैंने 1 महीने की classes लेने की सोची जिसके लिए मुझे 1 महीने का short term course करना पड़ा. स्कूल लाइफ में मैंने बस में कभी travel नहीं किया. मुझे बहुत डर लगता था पता नहीं कैसे कैसे लोग होते है उन लोगो का देखने का नजरिया और पता नहीं क्या क्या , बहुत डर   लगता था क्यूंकि एक बार मैं अपनी मम्मी के साथ कहीं बस में गयी थी और उस बस मैं गिनती के 7 -8 लोग थे जिनमें से एक ने drink कर रखी थी उस आदमी को देख कर मुझे डर लगने लग गया था और उस दिन से मैं कभी बस में नहीं गयी.


मैंने मम्मी को कहा मैं कभी बस में travel नहीं करुँगी. पर जून 2007 में मुझे बस में सफ़र करना पड़ा. हुआ यू कि classes लेने जाना था और institute दूर भी था. अब रोज़ तो घर से कोई छोड़ने जाने से रहा तो बस फिर क्या था चलो Sushmita महारानी चुप चाप बस में बैठो. अब पहले दिन तो पापा जी के साथ गयी पापा मुझे रास्ता बताते हुए जा रहे थे क्यूंकि कमाल कि बात ये थी कि मैं अपने स्कूल के अलावा कहीं ओर का रास्ता बिलकुल नहीं जानती थी. ना किसी रिश्तेदार के जाते न कहीं ओर तो कैसा पता होता कौन सी जगह कहा है . चल पड़े और रास्ता बताते बताते पापा यह भी देखते जा रहे थे कि कौन सी बस मुझे institute के रास्ते तक पहुंचाएगी. फिर पापा ने मुझे रास्ता समझा दिया.institute में मेरा पहला दिन था बहुत अच्छा रहा . 2nd day मुझे बस में जाना था . बस में बैठी conductor को कहा 'भईया यहाँ जाना है और  बस स्टैंड आने से पहले बता देना', बस conductor ने कहा  'आगे आ जाओ आपका स्टैंड आ गया' . मैं उतरी जैसे ही मैंने देखा .. देखा तो कुछ जाना पहचाना सा area ही नहीं लग रहा अब मैंने एक रिक्शा वाले को कहा भईया यह address कहा पड़ेगा उसने कहा दूर है. दरअसल मैं काफी आगे उतर गयी थी वैसे conductor अपनी जगह सही था पर स्टैंड पर कोई नाम ना होने कि वजह से गलत उतर गयी थी और institute रिक्शा पर गयी  ,रिक्शा वाला गलियो गलियो से ले जाने लगा और मुझे डर लगने लगा मैंने रिक्शा वाले को कहा- 'भईया ऐसा है मुझे घुमाओ मत सीधा सीधा रास्ते से ले जाओ मैं यहाँ कोई नई नहीं हूँ सारे रास्ते पता है' , उसने एक जगह उतार दिया गुस्सा तो बहुत आया पर बाहर कभी नहीं निकली थी बड़ा अजीब भी लग रहा था बोलू तो क्या बोलू एक दो बात कही और पैसे दिए. जरा दूर एक रिक्शा वाले से कहा भईया ये address है और मुझे सीधा रास्ता बताओ कहाँ है उसने बताया ऐसे ऐसे जाओ पहुँच जाओगे तो मैंने कहा ले चलो फिर ..... finally भला हो उस भईया का उसने सही पहुंचाया ( इस बीच ना मेरे पास कोई मोबाइल ना दूर दूर तक कोई PCO मैं बहुत ज्यादा परेशान ) . पता है क्या हुआ ? मैं पूरा 1 घंटा लेट पहुंची . क्लास में बैठी तभी घर से फ़ोन पहुंचा कि क्या आपके institute में Sushmita पहुँच गयी मैंने मम्मी से बात की और कहा हाँ मम्मी परेशान ना हो मैं पहुँच गयी.


 घर पर आते ही सब चुप मैंने कहा क्या हुआ भाई बोला तुझे मोबाइल दिलाना है आज पापा ने कहा है . मैंने कहा क्या हो गया ऐसा ?




   मम्मी ने बताया मेरे जाने के बाद पापा को tention हो गयी और मम्मी को कहते रहे लड़की को ऐसे अकेले भेज दिया पता करो पहुंची भी है या नहीं आज तक अकेले कहीं नहीं गयी और बस में तो कभी भी नहीं. पापा ने ये भी कहा मेरा मोबाइल दे देते कम से कम फ़ोन तो कर लेती . मैंने मम्मी को बताया आज ऐसे ऐसे हुआ और लेट भी हो गयी , तो अगले दिन से पापा का मोबाइल ले कर जाने लगी और 3 -4 दिन में मुझे मेरा अपना मोबाइल दिला दिया गया.


    रोज़ जाना sketching करना बहुत अच्छा लगता था ... 4 -5 दिन बाद मुझे एक still life sketch करने को कहा ,pencil shading ... अब मैं sketch करने लगी बहुत देर हो गयी मैडम आई उन्होंने समझाया कैसे हम आसानी से बिल्कुल accurate बना सकते है. फिर क्या था रोज़ एक sheet ली और lights off सामने कुछ दूर पर एक स्टूल उस पर 4 -5 artical और मेरे सामने स्टैंड बस sheet set की और रोज़ sketching . धीरे धीरे sketching स्पीड बढ़ गयी और मैं ज्यादातर still life sketch करना पसंद करती थी .और भी बहुत कुछ सीखा कलर आर्ट , पेन आर्ट .... पेंटिंग्स देखती थी कैसे बनाते है, जो पूरा साल सीखते थे उन बच्चो में एक जूनून था, वहां कुछ मूर्ति कला भी सीखते . Sir हमे एक बार बाहर रोड पर ले गये और बोले जो भी रोड पर दिख रहा है sketch करो चाहे कोई पानी वाला हो , छोले - कुल्चे की रेडी हो, चाहे बिल्डिंग हो. और हम करते भी थे ऐसा.. रोड पर खड़े खड़े sketching ,लगता था कि "हाँ, हम कुछ सीख रहे है". दिन बीतते गए और एक महीना पता ही नहीं चला कैसे गुज़रा जब मेरा पेपर था Delhi College of Fine Art में उस दिन Sir ने कहा था "Sushmita, हो जायेगा selection चिंता मत करो".. और यह बात Sir ने मेरे पापा से भी कही जब मैं पहले दिन गयी थी क्लास में , उन्होंने मेरी sketching  dekhi और पापा को तभी कह दिया आपकी बेटी आपकी उम्मीदों को जरूर पूरा करेगी ....


9 जुलाई 2007 को मेरा exam था और अगले दिन ही मेरा बर्थडे .. मैंने दुआ की थी मेरा बर्थडे का गिफ्ट यही होगा अगर मेरा exam clear हो जाए , 12 जुलाई को रिजल्ट बहुत डर लग रहा था  पता नहीं क्या होगा क्यूंकि सुनने में आया था कि वह पेपर clear बहुत मुश्किल से होता है , रिजल्ट के समय से रिजल्ट 2 -3 घंटे लेट आया ... जानते है क्यों ??




      क्यूंकि जिस बच्चे के माँ - बाप वहां जा कर पैसे खिला देते उनके बच्चो का नाम लिस्ट में होता ... मेरे साथ बैठी लड़की का selection हो गया जिसका २ पेपर में से एक भी पेपर अच्छा नहीं हुआ था . जानते है कितना दिल टुटा था मेरा? जब मैंने रिजल्ट में ऐसा माहोल देखा ... मम्मी ने कहा कोई बात नहीं अगले साल पेपर दे देना पर मैंने भी सोच लिया मुझे वहां कुछ नहीं सीखना जहाँ बेईमान लोग बैठे है रिशवत ले कर उस बच्चे को पास कर रहे है जिसको आर्ट कि A B C D नहीं पता . मैं ये नहीं कहती कि मेरा नंबर वहां नहीं आ पाया इसलिए मैं ऐसे कह रही हूँ , मेरा नंबर ना आता मैं खुश थी अगले साल जरूर पेपर देती और पक्का मैं addmission ले लेती . पर क्यों ? क्यों मैं रिशवत दू किसी को ?




    मेरी आँखों के सामने मेरी जिंदगी से जुड़ा यह जीता जागता किस्सा है , कितनी उम्मीदें थी मुझे अपने आप से और बाकी सभी की भी. सिर्फ पैसों के आगे किसी कि कला कोई माईने नहीं रखती ... पैसे से हर काम होता है अगर उस समय मेरे पास पैसा होता तो आज मैं final year में होती और कुछ ही दिनों में डिग्री प्राप्त कर लेती . उसके बाद 2 बार मौका पड़ा जब मैं 500 रुपये का फॉर्म भरती और पेपर देती , पर इतने बेईमान लोग है किसी को 500 रूपये कि कोई एहमियत नहीं . बस अपनी जेब भरने से मतलब है , उस दिन के बाद से मेरा मन हट गया था कभी पेंसिल को हाथ में नहीं लिया.


      मैं कहती हूँ आज " किसी कि उम्मीदों कि यह क़द्र होती है आज" ?. इंसान इंसान का दुश्मन बन गया , पैसे के आगे कुछ भी नहीं .... दुनिया चाहे  कुएं में गिरे. ऐसे लोंगों को पैसे से ही प्यार है , पैसा खाते है ,पैसा पीते है , पैसा माँ - बाप रिश्तेदार सब है .

मतलब हम तो बेवक़ूफ़ है फॉर्म भरे तो पैसा दे वो पैसा भी इन लोंगों कि जेब में जाए और उपर से रिशवत...... हे भगवान् !

देख तेरे संसार कि हालत क्या हो गयी भगवान् कितना बदल गया इंसान .. कितना बदल गया इंसान !!


      और देखो आपसे KUCH BAATEIN ... करते करते समय कब बीत गया पता ही नहीं चला ,,, अरे रात के 1 : 55 बज चुके है मतलब दिन का आखिरी पहर अब तो हाथ बहुत ही ज्यादा ठंडे हो गए लिखने की हिम्मत नही हो रही है और निंदिया रानी भी आँखों में है , जा रही हूँ सोने वरना खाने पड़ेंगे खूब डंडे क्यूंकि मेरी मम्मी जग गयी ना तो दूसरा सच लिखने लायक नहीं रहूंगी ...




खुश रहिये मुस्कुराते रहिये और यूँ ही kuch baatein .... साथ करते रहिये.

शुभ रात्री.......


आपके लिए










Saturday, December 19, 2009

kya kahu...

Dheere dheere thand badhti jaa rahi hai ...  raat ke 12:47 baj rahe hai , likh rahi hu par hath thande ho rahe hai .. bahut bore ho rahi thi to socha phir kyu naa kyu der aap se baatein ki jaaye... aur kuch gungunaaye
aaj mann nahi lag raha , bahut bore ho rahi hu waapas se kuch sad sad hu.  
pata nahi kya hua......

samajh nahi aa raha kya likhu , kya batau

bas mann nahi lag raha 

chalti hu sone jaa rahi hu
sapno ki dunia me khone ....

me gum sum hu to kya hua par aap ki muskurahat aisi hi rehni chahiye
BAHUT HI PYAARI HAI.....

... Sajni

Main teri aankhoon mein rehta hoon                  

tujhe pata na chale
tere har pal mein guzra hoon
tujhe pata na chale                                             


Kare toh phir kya kare
tere bin kaise jiye
aaaaankhoon mein pyaar liye


bolo kahaan kahaaaan phire


Khafa to hum bhi hai tum bhi ho
humein pata na chale
judai ka mujhe gham bhi hai
koi aisi khata na karein


Kare toh phir kya kare
tere bin kaise jiye
aankhoon mein pyaar liye
bolo kahaan kahaan phire


Sajni paas bulao na
ki dil aaj toota hai
aaj toota hai
sajan maan jao na                                                                          

ki woh aaj rootha hai
aaj rootha hai

koi usey manaye na


Jaane ja
dil tujhe hi chaaahe na


Humein dil se bhulao na
yehi ab kehna hai
ab kehna hai
tum paas aaoona


aaoonnaaaaaaa


(Sajni paas bulao na
Sajan maan jaona
Sajni paas bulao na)




Sajni paas bulao na
ki dil aaj toota hai
aaj toota hai
sajan maan jao na
                               - jal (band)

Thursday, December 17, 2009

Teri justajoo

  Aaj subha late uthi aur roz ki tarha phir mera ghar ka kaam late hi khatam hua,, hamesha ki tarha ek hi dialog ' Ho Gaya Tera Tym Uthne Ka'  mmi ne kaha .... 
uthi ghar ka kaam kia phir finally mein 4bje free hui .. aur free hote hi mein roz apna jyada waqt songs sun kar beetati hu aaj bhi aisa hi hua. jara bataaiye aap ek gaana continue kitni baar sun sakte hai?  bahut hi kam hota hai ki aap kisi gaane ko baar baar lagaatar sune .... aaj mere sath kuch aisa hi hua , jyadatar sufi songs ki pasand rakhti hu mein , sufi songs sufi instrumental music ya instrumental piano music jise sun kar ek alag hi ehsaas hota hai,sukoon milta hai .... 
 
  Sufi songs ( jiske lyrics aapki rooh ko chu jaaye , music aisa jise sun kar aapke haath ki fingers apne aap thirakne lage) , jise sun kar itna sukoon milta hai... waise itni knowledge nahi hai sufi songs ki par kuch ek jo bhi sunti hu bahut pasand karti hu ....

 Jab se aaj free hui ek hi song sun rahi hu ye samajh lijiye abhi raat ke 10 baj rahe hai aur mein ab tak bore bilkul nahi hui ..... TERI JUSTAJOO (Saawre)
 bahut hi pyaara geet hai jisko awaaz di hai Roop kumar Rathor Ji ne , inhone itna bakubi gaya jitni baar bhi sunu utna kam hai. 
 kaafi dino baad jaise tabiyat thik na hone ki wajah se thodi chidchidi aur gum sum si ho gyi thi par aaj bahut relax feel kar rahi hu , bahut hi achha lag raha hai .... jaise mujh mein jaan aa gayi aur khush bhi hu aaj ..

teri justajoo
teri justajoo

saawre saawre saawre..

tere bin suni suni hai ankhiya
tere bina lamha lamha hai sadiya
suna suna jahan lage re..
saawre saawre saawre

teri justajoo
teri justajoo

tu hi mere dil ki dua
tu hi meri har khushi
shaamil hai tu rooh me
tu hi meri zindagi

teri yaadon ka sawaan hai
pyaasi pyaasi yeh dhadkan hai
bas tu nazar aaye re..
saawre saawre saawre


sayiaan se raat bhar
karte hai hum guftagu
armaan ki bheedh me
teri hi hai justajoo

suni suni yeh hasrat hai
kaisi teri yeh mohabbat hai
kuch na mujhe bhaye re

saawre saawre saawre

tere bin suni suni hai ankhiya 
tere bin lamha lamha hai sadiya
suna suna jahan lage reeeeee............

saawre saawre saawre...



is song ki video bahut hi achchi hai .... par maine kuch alag hi imagine kia
agar aisa hota...

ek gum sum si ladki
akeli , kisi ke intzaar me
aas paas bahut shaanti



aur aankhe band karte hi uski aankho mein se ek aansu baahar aata hai tabhi
sochte sochte wo khyaalo mein kho jaati hai ....

 jis ki raah takte aaj wo ro rahi hai.. kabhi wo usko yaad kar ke muskuraati bhi thi
usko wo pal yaad aata hai jab baarish mein aise hi wo khil uthti thi
jhumti thi, naachti thi






jab bhi baarish hoti wo yuhi muskuraati yaad karti aur bheegti
maano jaise yeh baarish yeh samaa usi ke liye ho , uski khushi mein shaamil ho

aur aise hi


bheegti rehti ..


Itna bhi sad song nahi hai ke ismein kuch sad sad sa mood rahe
mujhe to bahut achha feel hua
isi ladki ki tarha jo baarish me jhoom rahi hai



kyunki


ji haan aaj to mera din ban gaya,, din bhi achha raha aur khush bhi hu
kaafi dino baad aisa achha gaana sunne ko mila.....

Monday, December 14, 2009

काश...

काश मैं एक ऐसी लड़की होती जो बाहें फैला कर खुद खुल कर हँस सकती
काश मैं एक ऐसी लड़की होती जो खुश रहना जानती
काश मैं एक ऐसी लड़की होती .....



काश मैं एक ऐसी लड़की होती जो सच मे खुश रहना जानती , क्यों सभी को यह लगता है मैं एक लापरवाह लड़की हूँ क्यों मुझे किसी की कोई चिंता नहीं होती , क्यों सभी मुझे ही सुनाते है , क्यों मैं हर बार सभी की बातें सुनती हूँ और चुप रहती हूँ ???


  मैं एक ऐसी लड़की हूँ जिसे ये लगता है कि न तो वो अपने परिवार को खुश रखती है ना ही उन सब को जिसे वो अपना समझती है ,,,


मेरे माता- पिता मेरा भाई , मेरे सभी दोस्त मेरे सभी अपने ...

   आखिर क्यों जाहिर करू मैं किसी को मैं इस सब से बहुत प्यार करती हूँ सभी मेरे दिल के बहुत पास है, हर एक एक रिश्ते को मैं क्यों समझाऊ या बतलाऊ के मेरे मन में उनकी क्या जगह है ??? क्यों?


इतनी तो पत्थर दिल मैं भी नहीं हूँ जितना सभी मुझे समझते है , हर कोई जिसके मन में जो आया कह दिया ..... क्या हर बार ,बार -बार ये बताना जरुरी है के मैं सभी को अपना मानती हूँ .


    अपनी मम्मी से जब तक मैं डांट नहीं खाती तब तक मुझे लगता ही नहीं मेरा दिन अच्छा गुजरा ,, जानते है क्यों क्यूंकि जब मेरी मम्मी डांटती है
तब मुझे बहुत अच्छा लगता है क्यूंकि वो सच में बहुत ही प्यार से डांटती है , और हमेशा मैं यही कहती हूँ " मम्मी जब तुम घर में नहीं होती तो मुझे तुम्हारी ये डांट बहुत याद आती है ". क्यूंकि जब मम्मी घर में नहीं होती तो घर में इतनी शान्ति हो जाती है लगता ही नहीं है कि हम अपने ही घर में है ( मेरी मम्मी बहुत बोलती है ना ) . मेरी मम्मी जब भी परेशान होती है तो मुझे ही सब बताती है . अब आप सोचिये अगर मुझे मम्मी डांटती है और मैं चुप चाप सुन के चली जाती हूँ तो में गलत हूँ ?( मतलब मेरी मम्मी को यही लगता होगा कि इस लड़की पे कोई असर नहीं पड़ता जितना भी बोल लो). अगर मैं जवाब दू तो वो अच्छा लगेगा? अभी कम से कम मम्मी के मन में जो आता है मुझे कह तो देती है मुझसे कुछ छुपाती तो नहीं ,, और ऐसा नहीं है में कुछ सोचती नहीं जब चली जाती हूँ, अकेले बैठे जरुर सोचती हूँ .... आप ने तो मुझे कह दिया मैं किस को क्या कहूँ के मम्मी का इस तरह डांटना मुझे सच में बहुत प्यारा लगता है . पर नहीं मैं गलत हूँ बस सुनती  हूँ और चुप चाप चली जाती हूँ इसलिए .




क्यों मैं ये बतलाऊ के मैं अपनी मम्मी को कितना प्यार करती हूँ . ये सब काम मैं जान कर करती हूँ .


   जब किसी की ख़ुशी के लिए कोई काम करती हूँ तो दूसरा नाराज़ हो जाता है , एक समय पर कभी मैंने आज तक ये नहीं देखा हर तरफ से सब खुश है , जिसको जो अच्छा लगता वही काम किया ...... कभी किसी ने मुझसे पूछा Sushmita what you want ? बस मैं एक नाम की रह गयी हूँ , दोस्तों को लगने लगा मैं जो हूँ वो ही show क्यों नहीं करती ...... क्या show करू , तुम्हे खुश करू तो कोई और नाराज़ हर तरफ से सोचना पड़ता है, इन सब में सभी ने अपनी अपनी बात कह डाली कभी मुझसे पूछा मैं क्या चाहती हूँ . अजी छोड़िए क्या फर्क पढ़ता है "आपकी sushmita आपकी बात तो मान ही रही है ना" .




   दिवाली पर मेरी तबियत खराब हुई , हो सकता है अगर किसी को ये लगता है कि मैंने कुछ ज्यादा कि बढ़ा-चढ़ाकर अपनी तबियत का issue किया , तो ये किसी को क्या पता मेरी तबियत खराब हुई तो क्यों हुई , तबियत मेरी बिगड़ी ना ये किसी को क्या अंदाजा के मेरा उस वक़्त क्या हाल था . सभी ने पूछ लिया Sushmita तबियत खराब हुई बताया भी नहीं या क्या हुआ तुझे अच्छा कैसे हुआ ठीक से बता ,, आप सभी ने पूछ लिया एक -दो को मैंने खुद ही बताया जब फ़ोन पर दिवाली wish कर रहे थे , बाकी को इन्ही एक-दो से पता चला सब ने कहा क्या हुआ कैसे हुआ. . आप सभी ने बहुत हिम्मत दी कुछ ने नाराज़गी ज़ाहिर कि मैंने क्यों नहीं बताया इतनी तबियत खराब हुई .
 
   जो मिलने आये उनसे मैं दिल से कहना चाहूंगी शुक्रिया क्यूंकि जब कोई इंसान बीमार हो या तकलीफ में हो तो उसको चाहिए होता है कि उसके पास हर वो इंसान हो जिससे उसको लगाव हो. आप सभी ने ये तो पूछ लिया कि Sushmita क्या हुआ और अब कैसी हूँ मैं ? पर किसी ने ये जानने की कोशिश की .. ऐसा क्या हुआ था? ........अब मैं आप सभी से पूछती हूँ  . हाँ कुछ ने पूछ भी लिया तो फिर ..... किसी ने कोशिश की कि मुझे कैसे खुश रखे उस टाइम .......... मुझे कितना hurt होता था, एक अकेले किसी ने भी मुझे खुश रखने की कोशिश की ?
 
      पूछ लेने से क्या होता है मैं भी कह सकती हूँ ना क्यों show नहीं करते की मेरी भी कोई चिंता करता है? क्या इंसानियत के नाते भी किसी का कोई फ़र्ज़ नहीं मुझे खुश रखे , बल्कि खुश तो छोड़ो तब भी हर कोई अपनी अपनी लगा कर Sushmita तेरी ये गलती है तेरी ये गलती है....


   पता है कितना बुरा लगता है जब हर टाइम कोई आप सभी के बारे में सोचे और जरुरत पढने पर आप उसके लिए एक कन्धा बन के भी साथ ना दे ,,, मैं भी आज कहना चाहती हूँ जब सभी के लिए मैं हमेशा उसी की ख़ुशी हो वो काम करती हूँ तो मेरे लिए कोई क्यों नहीं आगे आता ????? क्यों मेरे लिए एक सवाल बन जाते है आप सभी , मुझे सभी से शिकायत है हो सकता है मैं आज गलत कह रही हूँ ऐसा नहीं हो पर जो मुझे दिखा आज मैं वही कह रही हूँ ,,,, मैं एक ऐसी लड़की हूँ जो दिखता है उसको ना देख कर उस बात की गहराई में जाती हूँ फिर कुछ कहती हूँ.... पर क्यों करू मैं ऐसा??? आप सब भी तो ऐसे ही करते है मैं भी ऐसी ही बन जाती हूँ शायद फिर मैं भी आप ही की तरह बन जाउंगी . पर मैं नहीं चाहती ना की मैं ऐसी हो जाऊ ......


    जो बच्चा बचपन में परिवार के प्यार से दूर रहा हो , एक टाइम आता है जब वो खुद ही सब से अलग अलग रहने लग जाता है. मैं भी अलग अलग रहने लग गयी हूँ आज मैं अपनी कोई भी बात parents से कभी share नहीं करती पर हाँ जब उन्हें मेरी जरुरत होती है मैं जरुर सुनती हूँ . किस माहौल में रहती हूँ कोई किसी से प्यार से बात तक नहीं करता सब अलग अलग रहते है. सभी ने ये तो पूछ लिया तबियत खराब हुई कैसे हुई कभी किसी ने अपने अन्दर झाँक कर नहीं देखा कि कभी इसकी वजह हम तो नहीं, मैंने भी कहा हाँ मैं ठीक हूँ क्यूंकि मेरी वजह से कोई परेशान रहे मुझे पसंद नहीं ..... जो बातें शायद मैं कभी कहती नहीं वो मुझे आज ऐसे कहनी पड़ रही है .... सभी को एक खिलखिलाती Sushmita दिखती है सिर्फ इसलिए क्यूंकि मैं नहीं चाहती की कभी मैं किसी को serious , कम बोलने वाली Sushmita दिखू . जो दिखता है वो कभी नहीं होता और ये सच है.


   मुझे कोई कुछ कह देता है चुप लगा जाती हूँ ज्यादातर बात ही मानती हूँ , पर मुझसे किसी ने कभी नहीं पूछा सब अपनी बात पहले रख देते है और जवाब में उन्हें ये ही चाहिए के उन्ही की बात पूरी हो. कहाँ गलत हूँ मैं ? मुझे खुद नहीं समझ आता .... मतलब मेरी कोई personal choice नहीं रही जिसने जो कहा मान लिया .... क्यों सबकी बातें मानती रहूँ ? आज मैं यह भी नहीं जानती मैं क्या चाहती हूँ ... और सबकी बातें मान कर भी मुझे क्या मिला ? ये ही की Sushmita की ही गलती है , मुझसे कभी किसी ने खुद पूछा मैं क्या चाहती हूँ ? आज मुझे इन सभी सवालों के जवाब चाहिए . मैं अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीना चाहती हूँ . जब मेरी किसी को चिंता नहीं तो मैं क्यों करू ?




   हर बार यही सुनने को मिलता है मैं बहुत ही selfish हूँ अगर सभी को ऐसा ही लगता है  तो सोचते रहो , जिस बच्चे को कभी प्यार ना मिला हो और हमेशा परेशानी देखी हो कहीं न कहीं गलती उस बच्चे की भी नहीं होती. कभी किसी से कोई ख्वाइश नहीं रखती न कुछ मांगती अरे कभी तो समझना चाहिए कि सिर्फ एक ही ख्वाइश रखती हूँ सभी से कि " मुझे समझे बस "....... अगर  मुझे लगता है मेरी बात आप समझे तो हाँ मैं selfish हूँ.




जिसको लगता है मैं अपनी जगह गलत हूँ तो सुधारों मुझे समझाओ मुझे , और अगर मैं सही हूँ तो आज मेरी बातों पर जरुर गौर करे  , कभी कोई ऐसी बात मत करो जो मुझे बुरी लग सकती हो ...
और चाहती हूँ आप मुझे जरुर बताये मेरी क्या गलती है..मैं इंतज़ार करुँगी आपकी कमेंट्स का जिसमें मुझे यही जानना है मैं कहाँ गलत हूँ




काश मैं भी सच में मुस्कुराना जानती ,
जो सब के लिए नहीं कभी अपनी लिए भी मुस्कुराती.





Monday, December 7, 2009

अपनी तो पाठशाला .......

मेरे दोस्तों को मुझसे एक शिकायत है कि में अपने ब्लॉग में हमेशा कोई गंभीर विषय क्यों लेती हूँ, तो मैंने सोचा क्यों न आज KUCH BAATEIN  इन्ही के बारे में करते है, KUCH BAATEIN ...
दोस्तों के नाम ...




तो देर किस बात की
 शुरू करते है..



कॉलेज का पहला दिन .. Journalism में late addmission होने के कारण मैंने क्लास late join की. क्लास शुरू हो चुकी थी जैसी ही मैं क्लास में गयी सभी मुझे देखने लगे( अब क्या है कि में इतनी खुबसूरत तो नहीं हूँ पर फिर भी ha ha ha) जी नहीं ऐसा नहीं है , दरअसल बड़ा अजीब लगता है जब एकदम से सभी आपको देखे( उन दिनों में शांत, सहमी हुई स्वभाव की लड़की थी, किसी से बात करने मे मैं थोड़ा हिचकिचाती थी). मैं अपनी जगह पर जा कर बैठ गयी 5 -10 मिनट बाद मैंने सामने देखा तो क्लास मे एक लड़की मुझे Hi कर रही थी ( और करती भी क्या इतनी बोरिंग क्लास जो थी) . मैंने भी Hi कर दी. वैसे यकीन मानिये क्लास सच मे इतनी बोरिंग थी इकोनोमिक्स( हमारी सरकार ..... और ना जाने क्या क्या पढ़ा रही थी teacher ) मैं तो पहली क्लास मे सोच मे पढ़ गयी आखिर ये हो क्या रहा है . अरे भाई ! मैं तो यहाँ रेडियो FM पढने आई थी, पर यहाँ तो अलग ही खिचड़ी पक रही है. खैर जाने दीजिये कम से कम क्लास तो ख़त्म हुई ..........



ज़रा गौर तो करे यह मैडम कौन थी जो मुझे Hi कर रही थी, ये है Neha Jhingan ( जिन्हें हम सभी प्यार से Jhingan , NJ कह कर बुलाते है) , कहा जाए तो एक शरारती, प्यारी, और एकदम Darling personality ( बहुत caring लड़की) . बहुत अच्छा लगा पहले ही दिन मुझे इतनी अच्छी फ्रेंड मिली . धीरे धीरे मैंने सब से बातें करनी शुरू की.



अब मिलते है इनसे ...... arreee वाह ! Urvashi urvashi take it easy URVASHIII............. क्या बात है क्या रुतबा है इनका , जहाँ जहाँ से यह गुज़रती वहां से ये ही आवाज़ सुनाई देती . इनसे मिलिए ये है हमारी प्यारी, भोली URVASHI Ji . इतनी भोली इतनी भोली के बच्चो की तरह घबरा जाती है जरा जरा बातों पर. हुआ यूँ कि regular classes ख़त्म होने के बाद हम journalism के students 2 बजे कॉलेज जाते और घर लौटते वक़्त शाम के 6 :30 बज जाते. एक दिन मैं बस स्टैंड पर खड़ी बस का इंतज़ार कर रही थी देखा तो कॉलेज के guard अंकल के साथ Urvashi.... , बात यह थी कि उसकी बस जा चुकी थी और वो घबरा गयी के अब वो घर कैसे जाएगी ,फिर  अंकल जी उसको ले कर गए और बस मे बैठाया.



चलिए.........कहीं आप तो Urvashi urvashi take it easy URVASHII कहना शुरू तो नहीं हो गए , आगे बढ़ते है और भी महान हस्तियाँ है अभी तो,

अरे इन्हें क्या हुआ यह तो बड़ी गुस्सैल और खतरनाक लग रही है, मेरी तो नज़रे इन्ही पर टिकी हुई है कहीं आने वाले दिनों मे यह मुझे ऐसे ही डांटे इससे अच्छा Sushmita कभी क्लास मे जो भी काम मिले टाइम पर कर लेना बेटी जी वरना ऐसे ही Sana आपकी भी चटनी बना देंगी ( मेरा मन तभी बोला) . मैं एक टक लगातार Sana को देखती रही और सबसे पहला impression इतना खतरनाक था जैसे वो हमारे दोनों लाड दुलारे Sunder Rawat और Jyoti को radio script ना लिखने पर डांट रही थी. खैर ऐसा नहीं है SANA बहुत ही अच्छी लड़की है पर काम के वक़्त काम वरना ......... Sana गुस्से मे आ जाती है. अच्छा है कोई तो है थोड़ा कड़क हमारे ग्रुप मे. तो ये है हमारी SANA .....



इन्हें कैसे भूल जाये ये तो मेरी बड़ी बहन KULVINDER है, हमेशा सब के लिए हाज़िर जैसे कि यह अलादीन है जो चाहो वो पूरा होगा , बहुत ही ज्यादा caring , और किसी से नहीं डरती , न कभी घबराती , बहुत बहुत बहुत अच्छी ...



अब जरा इनकी ओर भी ध्यान दे ही देते है आखिर कॉलेज कि शान है ये... Girl 's कॉलेज के ये 3 मुंडे... इतनी सारी लड़कियों के बीच सिर्फ 3 लड़के, जी वैसे तो 2 बजे से पहले सभी लड़किया चली जाती है , 2 बजे के बाद तो हम ही journalism के students पूरे कॉलेज पर राज करते थे .
 देखा जाए तो सिर्फ और सिर्फ 15 लड़कियों के बीच........ हा हा हा . Varun , Kapil बहुत कम बोलते थे और दूर दूर ही रहते थे पर

क्या करे journalist बनना है तो लड़कियों को झेलते थे दोनों.....


"अरे क्यों दुखी कर रही है Sushmita ज़रा मेरा भी introduction करा दे वरना"......... ये मुझे तब से गालिया दे रहा होगा के फ़ोन पर कहा था, तेरे बारे मे लिख रही हूँ( ऐसा बिलकुल नही था) पर यहाँ रामायण खत्म होने को आई पर यह ही नही पता चला main character कौन है ??? The one and only Sunder Rawat जिन्हें अपना नाम ऐसे $undEr लिखना पसंद है,, ये नहीं जानता रामायण यानी कि MASTI  KI  PAATHSHAALA अब शुरू हुई है,

चल बस तेरे बारे मे Sunder ooopppsss... $undEr इतना ही था ........ हा हा हा हा हा

और इन सब के बीच मैं एक ऐसे व्यक्ति का परिचय देना चाहूंगी जो हम सब के प्यारे रहे हमेशा जब भी हम कॉलेज जाते तब भी और आज भी .... guess करो कौन हमारे "पाजी" सरदार जी . हमारे mass communication के manager Mr . Rai Sir के guard (Mr . Rai के लिए एक मामूली इंसान पर हम पाजी को पूरी रेस्पेक्ट देते थे ) , पाजी अंकल बहुत ही अच्छे इंसान है बहुत अच्छे, जब भी हम क्लास से पहले कॉलेज मे पहुँच जाते, कैंटीन मे या गार्डेन मे बैठे होते तो पाजी हम सभी बच्चो को ढूंढ़ते, सभी को बता देते के हमारे teacher आ गए अब हमे क्लास मे जाना चाहिए, एक बार नहीं बार बार आते थे, और रोज़ हम कैंटीन मे बैठे पाजी को कहते ..


" जी पाजी आये बस, ये लंच कर के आये " . जब भी हम पाजी से नमस्ते करते उनका हालचाल पूछते तो पाजी हमारे सर पर हाथ रख कर आशीर्वाद देते और कहते " बढिया बेटा" ... हम तो फिर भी कभी किसी कि बुराई कर देते पर पाजी हमेशा बोलते छोड़ो ऐसे नहीं बोलते , रहने दो.


चलते है आगे अपनी पाठशाला मे ...........


सर्दियो के दिन हम लोग क्लास मे बैठे रेडियो कि स्क्रिप्ट पढ़ते इतने मे जैसे ही हमारा बारी आती तो Sir  हम ना ज़रा juice पी के आते है , मैं और NJ ऐसे ही करते . और जब भी theory क्लास होती रेडियो की history तो दादी नानी सब याद आ जाती. ये नेहा तो face पर हाथ रख कर और नीचे रखी नोटबुक को देखती हुई कब नींद पूरी करती भई वो तोह इसी से पूछो, और चालू लड़की जगती भी तब थी जब क्लास ख़त्म होती थी  और हमारी teacher हमे पढ़ा पढ़ा के मारने पर लगी रहती थी, बस हम सब की नज़रे घड़ी पर टिकी रहती  ," आरे भई बक्श दो अब बच्चे की जान लोगे क्या" यह dailog तो धीरे धीरे Neha बोलती थी  , और मेरा ये हाल ना तोह खुल कर हंस सके ना lecture सुन सके.

जो कॉलेज की कैंटीन मे जाते तो ठाट से जैसे हमारे चाचा की कैंटीन है , हम आर्डर देते के साथ ही kitchen मे चले जाते , पता चलता ये शोर कहा से आ रहा है और हमारा आर्डर इतना लेट क्यों हो रहा है तो पता चलता ये तीनो लड़के kitchen मे लगे TV पर मैच देख रहे है.

हे भगवान् ! मैच है आफत साथ मे इतना शोर भी.


कैंटीन की मस्ती तो अलग ही हुआ करती थी . कॉलेज पहुँचने से पहले ही फ़ोन खड़कने लगते थे .........


अरे भई कहा है ?

- बस यही रास्ते में या फिर कॉलेज के गेट पर .

- तुम लोग कहा हो और कौन कौन आ गया अब तक ?

अरे सब आ गए बस तू भी जल्दी आ ....

- अरे यह तो बता दे कहा हो सब अरे Hello फ़ोन काट दिया क्या ....

नहीं हम सब कैंटीन में है बस तू फ़ोन रख जल्दी आ ."

बस कॉलेज की सारी information पहले ही फ़ोन पर मिल जाती.. " देखो आ गए ये सब भी , आओ आओ चलो लंच कर लो " ( कैंटीन में बैठे हम सब कहते )

अब देखते है ये जनाब क्या करते थे $undEr हे भगवान् ! क्या कहना इसका तो दिमाग हर वक़्त कुछ न कुछ मस्ती करने में लगा रहता था , उलटे को सीधा और सीधे को उल्टा करना कोई इससे सीखे .. रोज़ नए नए तड़ाक भड़ाक songs सुनाता था वो भी सबको पकड़ पकड़ के "सुन Sushmita सुन Urvashi एक amazing song सुनाता हूँ यही रह और मैं बड़े शौक से साथ बैठ के सुनती जैसे ही song play होता ...... LINKING PARK ( in the end ) हमारा response (bas kar baksh de)
रोज़ नए नए गाने ढूंढ़ के लाना और हम सबको सुनाना अच्छा लगता था शाम हो जाती थी और हम सब क्लास के बाद फिर कैंटीन में.
 
कहने को कुछ भी नहीं पर यह छोटी छोटी हरकते बहुत अच्छी लगती थी सब की टांग खीचना ये $undEr के काम थे . हर किसी को जब तक ये  तंग नहीं करता तब तक इसका खाना हज़म नहीं होता था. क्लास में ऐसे चोरो की तरह आता था , एक दिन रूम का door ओपन किया खुद नही आया बल्कि अपना face निकाला सभी क्लास में बैठे देखने लगे , पर $undEr को यह मालुम नहीं था क्लास में teacher है, तभी पकड़ा गया, देखो तोह क्या किया इसने बोला mam may i come in ........ और ऐसे react किया जैसे कुछ हुआ ही नहीं  और हमारी तरफ देख बोला क्या हुआ .....? और सुंदर लड़की दिखते ही कितनी सुंदर लड़की है...... हैं ना Urvashi? हम बोलते बस भी कर भई , अच्छे से पकाता था ये सब को.

एक बार क्लास में सभी note कर रहे थे , इतने में आवाज़ आई जैसे कोई बहुत तेज चिल्ला रहा हो ... पता चला इसने अपने फ़ोन की ringtone सेट कर रखी थी, Sameena Mam ने डांट लगाई. कहा ये क्या है $undEr ? इसको (ringtone ) अभी बदलो , एक बार नहीं दो तीन बार इसने ऐसी हरकते की , कभी कभी तो इतना पका देता था .. recording चल रही है पर इसको सोने से फुर्सत मिले तब ना. exams टाइम पर तो इसकी बदमाशी आसमान छुती थी . लिखते लिखते बीच बीच में Sir मैं पानी पीने ज़ाऊ और बाहर खड़े हो कर अजीबो- गरीब हरकते करना .

क्लास में इतनी शान्ति पेपर सब के हाथ में आने वाला था $undEr बोला भाई Kapil जरा मेरे cell पर कोई भी message भेज Kapil ने msg . भेजा , क्लास में सब शांत थे इतने में आवाज़ आई " इतना सन्नाटा क्यों है भाई " हे भगवान् ! ये और इसकी हरकते ...
"कभी कभी सब खुश होते थे तोह कभी ये हद से ज्यादा irritate भी karta था."

क्लास के बाद रोज़ जब हम घर जाते तो रास्ते में Sana और मैं किताब पढ़ते , हम दोनों को कविताए और novel पढने का बहुत शौक था , बस का इंतज़ार करना बहुत बुरा लगता था गुस्सा आता था न कोई स्टैंड बैठने के लिए घंटे तक इंतज़ार करना. बस का टाइम और हमारी छुट्टी का टाइम बहुत ही अलग था ,फिर हमने किताबें लानी शुरू की , बैग में एक किताब जरुर होती थी ... फिर क्या था हमे बस का इंतज़ार करना बुरा नहीं लगता था हम दोनों साथ में 'तसलीमा नसरीन' की poetry पढ़ते थे , एक बार हमारे Sir ने किताब पढ़ते देख लिया दूर से ही बोले " सही है सही है पढ़ो पढ़ो ".


और फिर क्या था बस में बैठे या बस का इंतज़ार करते हमारे हाथ में किताब जरुर होती थी , अगर आज यह Sana पढ़ रही होगी तो जरुर खुश होगी क्यूंकि Sana को बहुत अच्छा लगता था ये सब, आज भी हम जब कॉलेज के दिन याद करते है तो Sana ये बातें तो जरुर याद दिलाती है .



कॉलेज में मेरा आखिरी दिन... मेरा इसलिए क्युंकि मैंने सिर्फ Radio FM का course करना था बाकी सब आगे mass comm . course continue करना चाहते थे . jyoti , neha , babita ,ये सभी cycling कर रहे थे और मैं गार्डेन में एक जगह थी वो टॉप था आसपास बहुत ही प्यारे फूल थे में उस टॉप पर बैठ कर jyoti के मोबाइल पर गाने(सोफ्ट सोंग्स) सुन रही थी  ,
Kulvinder भी मेरे साथ ही बैठी थी , सब ने कहा मैं ऐसे क्यों बैठी हूँ ? साथ में चलकर उनके साथ मस्ती करू पर नहीं मैं नहीं जाना चाहती थी उन सभी को बैठे देख रही थी.

बस शाम होती गयी पाजी आये उन्होंने हम सभी बच्चो को रिजल्ट आने पर बधाई दी और दुआ दी के हम सब ऐसे ही खुश रहे और आगे बढे अपने करियर में सफल हो . .और एक एक कर सब आखिरी बार मिले और फिर वही रोज़ की तरह सब कॉलेज से बस स्टैंड और सब अपने अपने घर ......


मैं ये ही कहना चाहूंगी वो कॉलेज के दिन कभी वापस नहीं आयेंगे पर जो हम सभी शरारते करते थे बहुत बहुत याद आती है , क्यूंकि सिर्फ हम friends से ही नहीं बल्कि अपने teachers से भी बड़ी मस्ती करते थे .

सभी बहुत अच्छे पर waise मेरा  सब से अच्छा टाइम  NJ और Sana के साथ बीता ................
 LOVE YOU both my dear ,sweet, darling frds SANA and Neha ... really really miss you a lot !!


एक और बात मैं याद दिलाना चाहूंगी आज 4th dec . है हमारी प्यारी Urvashi का b 'day ..... Happy Birthday Urvashi !! ...

 

दुआ है के सब अपना मुकाम हासिल करे
तरक्की करे
और हमेशा ऐसे ही सभी को खुश रखे और मुस्कुराते रहे ........

Wednesday, December 2, 2009

सफ़र....

चलो कुछ दूर हम साथ चले  
थाम के हाथ यूँ हम आगे चले
चलो कुछ दूर हम साथ चले
मिलकर एक ख्वाब बुने,,



चाहे हो तेज धूप या तेज हवा
साथ मे, है क्या ये बड़ा
धूप है तो छाव भी
तेज है तो शांत भी
चलो कुछ दूर हम साथ चले
थाम के हाथ यूँ हम आगे चले,,



भीगने दो अपने को बारिश की बूंदों से,
करने दो इनको बातें धीरे से गुप-चुप से,
आँखे बंद कर इस एहसास को जी लें
जरा..
चलो कुछ दूर हम साथ चले
थाम के हाथ यूँ हम आगे चले,,






पल ये पल वापस फिर कब आये...?
झूमने दो इस मन को
जरा हमारा साथ तो दो
छू कर महसूस तो करो
जो है मेरे मन में क्या वही है तेरे मन में...
चलो कुछ दूर हम साथ चले
थाम के हाथ यूँ हम आगे चले,,



(इस पल में हूँ या तुम भी हो
या दोनों हो कर भी ना हैं ),
तो क्यों ना?
चलो कुछ दूर हम साथ चले
थाम के हाथ यूँ हम आगे चले,,


दौड़ भाग की ज़िन्दगी में ये पल फुर्सत से जी लें
ज़रा ठहरों ऐसे ही कुछ पल ख़ुशी से तो जी लें
यूँ ही चलो ....
चलो कुछ दूर हम साथ चले
थाम के हाथ यूँ हम आगे चले...!!



( ज़िन्दगी में चाहे कितने ही उतार-चढ़ाव आये पर कुछ पल हमेशा ख़ास और बहुत ख़ास होते है, और ऐसे ही इन पलों को ख़ास बनाते है आप..सिर्फ आप. तो मुस्कुराते रहिये खुश रहिये और अपनी ज़िन्दगी की ख़ास पन्नों वाली क़िताब में ऐसे ही हसीन पल रोज़ शामिल करते रहिये. )

Tuesday, December 1, 2009

Kaise Kahein...

kuch khwaish adhuri poori si
rishton me uljhe hue se kuch adhure sapne
kehne ko bahut kuch per kehte waqt khamosh
aankho me ek umeed


Khwaish-kuch paane ki
Adhura-sapna
Khamosh-alfaaz
Umeed- Khwaish poori ho, Adhura kuch na rahe, Khamosh pal na ho..

Har ek waykti ki roz marra ki zindagi me yeh kuch shabd jarur aate hai... koi in sab shabdon se jeet jaata hai, koi in sab se haar jaata hai, koi in sab se darta hai toh koi in sab ke beech ghir jata hai....  aur koi inhi ke sahaare aage chalta rehta hai.


jitne log utne vichaar, alag alag soach
Khair chodiye .....


kabhi kabhi toh mujhe khudh nhi pata chalta mein kya soach rahi hu aur kya likh rahi hu, kya kehna chahti hu.. pata nhi,
thanda mausam hai raat ka pehar aur kuch pal gaane sunte sunte kahin aur hi kho jati hu
jaise ki ab


Music is the language of the SOUL.....


Kyu kabhi apni baaton ka ijhaar karne ke liye songs ka sahaara lena padhta hai ,, khushi me, udaasi me??





yaa kabhi kabhi aap apne aapko songs ke lyrics me music me itna kho dete hai ke aisa lagne lagta hai yeh aap hi ke liye likha gaya hai....

kabhi saadgi se is geet ko suniyega ( PIYA GHAR AAVENGE-KAILASH KHER   http://www.youtube.com/watch?v=Cs1530vkhko)..

is song ki sab se khaas baat yeh hai.. lyrics ke sath instrumental music itna achcha hai ke aapko kahin na kahin bahut achcha lagega...  Dusri baat yeh ke me KUCH BAATEIN aur keh saki yeh song sunte sunte..
aur jitni bhi tej lehre uth rhi thi mann me, thodi shaant hui...


Kehne Ko Bahut Kuch Per ....

Thursday, November 19, 2009

Aise na jaao...



"Kahin kisi kone se ek awaaz sunaai di... Aise Na Jaao", tej hawa ke jhoke se mein ghabraney lagi, aasman me achaanak andheri si chaane lagi, wo shaant maahol ek dum tufaani ho gaya maano shaant samunder me koi tej lehar sab ko apni kauk me samaati hui aage bhadhne lagi...




Mein yuhi aksar apne aap ko in sab ke beech kho deti hu,, kahin na kahin in sab se ek rishta bana leti hu..har roz ki shaam se alag thi yeh shaam. yuhi shaant akele baithe bahut waqt beet chuka tha, mein uth ke chalne lagi. 'AISE NA JAAO'.. .. mujhe ek awaaz sunai di, mujhe kuch samjh nhi aaya yeh achaanak kya hua.



Yeh mera bhram tha ya sach me kisi ki pukaar thi, kuch pal wahi uljhee hui si aas paas dekhne lagi.. dekha toh yeh shaant maahol ek dum se badal gaya jaha hawa ka rukh kuch aisa badla ke sarsaraate hue teji se mujhe chu ke guzarne lagi. mein phir chalne lagi ek kadam aage badhate hue phir wahi awaaz sunai di, maine aankhe band ki aur paaya yeh awaaz kisi aur ki nhi balki mere mann ki awaaz thi.



Mann ki awaaz ji haan!! kaafi waqt hone ke kaaran me uth ke chalne lagi thi per mera mann .. mann toh wahi tha in sab ke beech toh mein kaise jaa sakti thi, uljhi hui apne hi khayalon me waha se chalne lagi, AUR HAMESHA KI TARHA PHIR KUCH ADHURA ADHURA REH GYA..





mann kehta reh gaya AISE NA JAAO........