Wednesday, December 2, 2009

सफ़र....

चलो कुछ दूर हम साथ चले  
थाम के हाथ यूँ हम आगे चले
चलो कुछ दूर हम साथ चले
मिलकर एक ख्वाब बुने,,



चाहे हो तेज धूप या तेज हवा
साथ मे, है क्या ये बड़ा
धूप है तो छाव भी
तेज है तो शांत भी
चलो कुछ दूर हम साथ चले
थाम के हाथ यूँ हम आगे चले,,



भीगने दो अपने को बारिश की बूंदों से,
करने दो इनको बातें धीरे से गुप-चुप से,
आँखे बंद कर इस एहसास को जी लें
जरा..
चलो कुछ दूर हम साथ चले
थाम के हाथ यूँ हम आगे चले,,






पल ये पल वापस फिर कब आये...?
झूमने दो इस मन को
जरा हमारा साथ तो दो
छू कर महसूस तो करो
जो है मेरे मन में क्या वही है तेरे मन में...
चलो कुछ दूर हम साथ चले
थाम के हाथ यूँ हम आगे चले,,



(इस पल में हूँ या तुम भी हो
या दोनों हो कर भी ना हैं ),
तो क्यों ना?
चलो कुछ दूर हम साथ चले
थाम के हाथ यूँ हम आगे चले,,


दौड़ भाग की ज़िन्दगी में ये पल फुर्सत से जी लें
ज़रा ठहरों ऐसे ही कुछ पल ख़ुशी से तो जी लें
यूँ ही चलो ....
चलो कुछ दूर हम साथ चले
थाम के हाथ यूँ हम आगे चले...!!



( ज़िन्दगी में चाहे कितने ही उतार-चढ़ाव आये पर कुछ पल हमेशा ख़ास और बहुत ख़ास होते है, और ऐसे ही इन पलों को ख़ास बनाते है आप..सिर्फ आप. तो मुस्कुराते रहिये खुश रहिये और अपनी ज़िन्दगी की ख़ास पन्नों वाली क़िताब में ऐसे ही हसीन पल रोज़ शामिल करते रहिये. )

1 comment:

  1. wahhhhhhhhhhh
    sush kya baat hai
    itna acha likha tumne
    good yar keep it up..................

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