राह तकते है यूँ ही पलके बिछाये
जाने किस घड़ी वो सामने से आये
दिन कटते नहीं यूँ खामोश से
गुप-चुप करते है बातें, रातों से
वो फलक पर चमकता सितारा कुछ बोला
नज़रों का इशारा वो क्या समझा
छम-सा रह गया वो मंज़र
पलक झपकते ही वो सामने से आये
ठहर जाते है वो पल
एक उम्मीद करते है हर पल
अब जाना नहीं
उम्मीद करते है इस पल
काली चादर की आड़ में
पलकों की छाव में
एक याद बन कर
रहना हमसफ़र .............
Sushmita....