Friday, February 18, 2011

कुछ यूँ ही .....

कविता हमेशा कुछ वाक्यों में अपना अर्थ समझा जाती है . एक कहानी कुछ हकीकत का रूप लेना चाहती है . वहीं दूसरी ओर लेखक के भाव को समझना बहुत मुश्किल है " क्या ये कहानी इसकी अपनी खुद की है या महज़ एक सोच है" ? यह सवाल अक्सर आपके दिमाग में आता होगा.



मैं तो सिर्फ मामूली-सी लड़की हूँ न तो मैं कोई लेखिका हूँ न ही मेरी कोई ख़ास पहचान . मुझसे किसी ने इस ब्लॉग के ज़रिये यह पूछा " क्या आप सच में ऐसी है या यह सिर्फ एक विचार है " ? सब से पहले तो अच्छा लगा कि मेरे ब्लॉग को मेरी जानकारी के बाहर भी किसी ने पढ़ा . आखिर सब यही तो चाहते है पर दूसरी ओर यह सवाल मुझे दुविधा में डाल गया क्यूंकि अभी तो सिर्फ शुरुवात है और कल्पनाओ की दुनिया के बारे में कुछ लिखना शायद धीरे-धीरे ही सीखूंगी . . . इस सवाल का मेरे पास कोई जवाब नहीं था . हाँ , शायद एक जवाब है मेरे ब्लॉग में "about me" जिसमे लिखा है ' kuch baatein पढ़ कर आप मुझे खूब जान पाएंगे '..............

kuch baatein ये ब्लॉग मेरे दिल के बहुत करीब है क्यूंकि मुझे ऐसा लगता है कि सिर्फ एक यही ऐसा ज़रिया है जो मेरी मौजूदगी ज़ाहिर करता है. काफी समय से मैं कुछ नहीं लिख सकी. मुझे समझ ही नहीं आया क्या लिखू ? अगर मैं आज भी यही सोचती तो शायद आज भी कुछ नहीं लिखती पर अब और इंतज़ार नहीं ........ ज़रूरी तो नहीं कोई कहानी या कविता ही एक एहम भूमिका निभाते है , एक ज़िन्दगी और एक सोच शायद यह भी तो लेख का हिस्सा बन सकते है अब ये तो एक जरिया है कि हम अपने विचार को कहानी या कविता के सांचे में ढाल कर आपके समक्ष परोस देते है . और यह आपका फैसला है कि आपको इसकी बारिकिया तलाशनी है या सिर्फ बाहरी दिखावट को परखना है.




खैर मैं तो अपने ही अनुभव आपसे बांटती आई हूँ बिना यह ख्याल किये कि आप मेरे बारे में क्या सोचेंगे .............. : )




Sushmita...

2 comments:

  1. you write really very well...feels good to read your heart. love you!

    ReplyDelete
  2. aaaawwwww.... shukriya shukriya .... lve ya !

    ReplyDelete