Saturday, July 31, 2010

a place ....

       बहुत मन करता है किसी ऐसी जगह जाऊ जहाँ कोई भी नहीं हो, कुछ वक़्त सिर्फ अपने लिए निकाल सकू ...पर ऐसा कभी नहीं होता . हम हर जगह सबके बीच घिरे रहते है . ऐसे में अगर कुछ वक़्त निकाला जाये तो कैसे ?


      जब इस पिक्चर को मैंने देखा तो बहुत अच्छा लगा . ऐसा नहीं है कि मुझे अकेले रहना पसंद है पर कुछ पल के लिए मुझे अकेले रहना बहुत पसंद है. ऐसे समय में मैं अपनी दुनिया में खोई रहती हूँ ............... बिल्कुल ऐसे ही
   

        जितने भी सवाल दिमाग में घूम रहे होते है ,सब का जवाब पाना आसान हो जाता है . खैर मेरी छोड़िए हर इंसान अपने आपको खुश रखने के लिए तरह-तरह के नुक्से अपनाता है.  ना तो यह कोई नयी बात है जो आपसे कह रही हूँ पर यह एक एहसास है जो रोज़मर्रा कि ज़िन्दगी में हम सब महसूस करते है....  

       इसके आगे मैं कुछ नहीं कह सकती क्यूंकि कुछ पल अधूरे रहने चाहिए इससे आगे आने वाले पलों का बेसब्री से इंतज़ार रहता है .....

                                                                            Sushmita...

Tuesday, July 6, 2010

6 July

      कल रात ठीक से सो नहीं पाई या यूँ कहू  कि नींद नहीं आई , सोचा था आज से जल्दी उठाना शुरू करुँगी पर हर रोज़ की तरह आज भी यही हुआ . देर से जागना मेरी  आदत बन गयी . सुबह उठी तो आँखे नहीं खुल पाई शायद वो आंसू मेरी आँखों में ही रह गया .. कल रात बहुत कुछ याद कर रही थी और थोड़ी-सी भावुक हो गयी . जब मैंने आँखे खोली मोबाइल में देखा तो १०:३० हो गये थे और फिर सर हिलाते हुए मूड ऑफ हो गया . कल रात सच में बिल्कुल सुकून नही था , पता नही क्यों इतना सोचा करती हूँ मैं ? 
      
         
      ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरी नींद मुझसे छीन ली हो . सब के साथ-साथ मेरी नींद भी मुझसे दूर भागती है . सुबह हुई, घर का काम करते- करते देखा कि बाहर मौसम ने बहार ला दी थी . आसमान इतना सुंदर लग रहा था , बहुत ही प्यारी हवा चल रही थी . दो- तीन दिन से बारिश जो दस्तक किए हुए  है .  फिर तेज बारिश होने वाली थी , बाहर देखते-देखते खिड़किया बंद करने लगी . मुझे बारिश बहुत अच्छी लगती है पर तब भी बस अपना अधूरा  काम पूरा करने में लगी हुई थी . जल्दी नहाना था क्यूंकि बहुत भूख लग रही थी .  बारिश देख मन नहीं लग रहा था , सोचा भीग जाऊ . कई बार बारिश में भीगी हुई हूँ पर कभी इसका आनंद नहीं लिया .
सब काम छोड़ मै सीधा छत पर गयी. आज भीगी भी, आनंद भी लिया और खूब भीगी . पर...... तब भी कुछ अच्छा नहीं लगा . बारिश में भीगते भीगते ठण्ड लग रही थी पता था पक्का बीमार हो जाउंगी पर फिर भी.. .

         तेज़ हल्के त़ेज हल्के बादल बरस रहे थे . मेरा यूं लगातार भीगना साथ में ठंडी हवा मुझे कमज़ोर बना रही थी .. पर आज मुझे बिल्कुल भी बारिश का आनंद नहीं हुआ शायद इसकी वजह कल रात की ख़ामोशी थी जो मुझे परेशान करती जा रही है.  मैं जो अपनी सपनो की दुनिया मै हर छोटी-छोटी ख़ुशी , छोटी-छोटी बातों को इकट्ठा कर एक खुबसूरत-सा पल बनती हूँ , चाहे शब्दों के ज़रिये उसको कैद करती हूँ या कल्पना में समेटे रखती हूँ . पर आज जब मैं बारिश को कैद नहीं कर पाई तब मेरी दुनिया अधूरी और धुंधली होने लगी ...
या तो मै बहुत बदल गयी हूँ या मेरे आस पास लोग बदल गए है ........
या तो मै उन्हें समझ नहीं पाती या वो मुझे ....

बस अब सब से दूर जाने का मन करता है .....

Sushmita...