Monday, October 18, 2010

कुछ बातें .....


सफ़र कुछ बातों.. का
यूँ ही  गुज़र ना जाए ,, 

ये  लम्हा समय रथ  पर  सवार
कहीं बीत ना जाए  ..


 एक गुजारिश है
समय से, बस ठहर जाए

आप और हम यूँ ही
कुछ बातें कहते जाए.....




   सोचती हूँ ' कुछ बातें ' .. कुछ ख़ास नहीं , पर फिर भी लगाव है इससे . कुछ अपना है हमेशा से........ 
काफी  दिन बीत गए कुछ कहने का मन ही नहीं हुआ , 2 -4 बातें ही होती है कहने को  . पहले मैंने सोचा अब आगे कुछ नहीं लिखूंगी , पर ऐसा हो ही नहीं सकता क्यूंकि  मुझे खुद ही कुछ अधूरा-अधूरा लगने लगता है . देखिये इस बेंच की ओर

कुछ ऐसा ही लगता है मुझे अपना ब्लॉग ..   नहीं जानती क्यों ?
समय कुछ ख़ास नही रात के 12 :20  बजे है घड़ी में . याद आने लगा है जब पिछली सर्दियों में मैं यूँही रोज़ कुछ लिखती थी और लिखते-लिखते हाथ ठण्ड से बेजान हो जाते . उस समय अच्छा लगता था रोज़ रोज़ कुछ लिखना , बातें करना . . . आज मन नहीं ये ब्लॉग अधूरा ही रहने वाला है ...


उम्मीद करती हूँ आप मेरा ब्लॉग पढ़ कर मेरा हौसला बढ़ाएंगे  ... जिससे   ' kuch baatein.... '  का सफ़र चलता रहे .....

Sushmita...

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