Monday, December 14, 2009

काश...

काश मैं एक ऐसी लड़की होती जो बाहें फैला कर खुद खुल कर हँस सकती
काश मैं एक ऐसी लड़की होती जो खुश रहना जानती
काश मैं एक ऐसी लड़की होती .....



काश मैं एक ऐसी लड़की होती जो सच मे खुश रहना जानती , क्यों सभी को यह लगता है मैं एक लापरवाह लड़की हूँ क्यों मुझे किसी की कोई चिंता नहीं होती , क्यों सभी मुझे ही सुनाते है , क्यों मैं हर बार सभी की बातें सुनती हूँ और चुप रहती हूँ ???


  मैं एक ऐसी लड़की हूँ जिसे ये लगता है कि न तो वो अपने परिवार को खुश रखती है ना ही उन सब को जिसे वो अपना समझती है ,,,


मेरे माता- पिता मेरा भाई , मेरे सभी दोस्त मेरे सभी अपने ...

   आखिर क्यों जाहिर करू मैं किसी को मैं इस सब से बहुत प्यार करती हूँ सभी मेरे दिल के बहुत पास है, हर एक एक रिश्ते को मैं क्यों समझाऊ या बतलाऊ के मेरे मन में उनकी क्या जगह है ??? क्यों?


इतनी तो पत्थर दिल मैं भी नहीं हूँ जितना सभी मुझे समझते है , हर कोई जिसके मन में जो आया कह दिया ..... क्या हर बार ,बार -बार ये बताना जरुरी है के मैं सभी को अपना मानती हूँ .


    अपनी मम्मी से जब तक मैं डांट नहीं खाती तब तक मुझे लगता ही नहीं मेरा दिन अच्छा गुजरा ,, जानते है क्यों क्यूंकि जब मेरी मम्मी डांटती है
तब मुझे बहुत अच्छा लगता है क्यूंकि वो सच में बहुत ही प्यार से डांटती है , और हमेशा मैं यही कहती हूँ " मम्मी जब तुम घर में नहीं होती तो मुझे तुम्हारी ये डांट बहुत याद आती है ". क्यूंकि जब मम्मी घर में नहीं होती तो घर में इतनी शान्ति हो जाती है लगता ही नहीं है कि हम अपने ही घर में है ( मेरी मम्मी बहुत बोलती है ना ) . मेरी मम्मी जब भी परेशान होती है तो मुझे ही सब बताती है . अब आप सोचिये अगर मुझे मम्मी डांटती है और मैं चुप चाप सुन के चली जाती हूँ तो में गलत हूँ ?( मतलब मेरी मम्मी को यही लगता होगा कि इस लड़की पे कोई असर नहीं पड़ता जितना भी बोल लो). अगर मैं जवाब दू तो वो अच्छा लगेगा? अभी कम से कम मम्मी के मन में जो आता है मुझे कह तो देती है मुझसे कुछ छुपाती तो नहीं ,, और ऐसा नहीं है में कुछ सोचती नहीं जब चली जाती हूँ, अकेले बैठे जरुर सोचती हूँ .... आप ने तो मुझे कह दिया मैं किस को क्या कहूँ के मम्मी का इस तरह डांटना मुझे सच में बहुत प्यारा लगता है . पर नहीं मैं गलत हूँ बस सुनती  हूँ और चुप चाप चली जाती हूँ इसलिए .




क्यों मैं ये बतलाऊ के मैं अपनी मम्मी को कितना प्यार करती हूँ . ये सब काम मैं जान कर करती हूँ .


   जब किसी की ख़ुशी के लिए कोई काम करती हूँ तो दूसरा नाराज़ हो जाता है , एक समय पर कभी मैंने आज तक ये नहीं देखा हर तरफ से सब खुश है , जिसको जो अच्छा लगता वही काम किया ...... कभी किसी ने मुझसे पूछा Sushmita what you want ? बस मैं एक नाम की रह गयी हूँ , दोस्तों को लगने लगा मैं जो हूँ वो ही show क्यों नहीं करती ...... क्या show करू , तुम्हे खुश करू तो कोई और नाराज़ हर तरफ से सोचना पड़ता है, इन सब में सभी ने अपनी अपनी बात कह डाली कभी मुझसे पूछा मैं क्या चाहती हूँ . अजी छोड़िए क्या फर्क पढ़ता है "आपकी sushmita आपकी बात तो मान ही रही है ना" .




   दिवाली पर मेरी तबियत खराब हुई , हो सकता है अगर किसी को ये लगता है कि मैंने कुछ ज्यादा कि बढ़ा-चढ़ाकर अपनी तबियत का issue किया , तो ये किसी को क्या पता मेरी तबियत खराब हुई तो क्यों हुई , तबियत मेरी बिगड़ी ना ये किसी को क्या अंदाजा के मेरा उस वक़्त क्या हाल था . सभी ने पूछ लिया Sushmita तबियत खराब हुई बताया भी नहीं या क्या हुआ तुझे अच्छा कैसे हुआ ठीक से बता ,, आप सभी ने पूछ लिया एक -दो को मैंने खुद ही बताया जब फ़ोन पर दिवाली wish कर रहे थे , बाकी को इन्ही एक-दो से पता चला सब ने कहा क्या हुआ कैसे हुआ. . आप सभी ने बहुत हिम्मत दी कुछ ने नाराज़गी ज़ाहिर कि मैंने क्यों नहीं बताया इतनी तबियत खराब हुई .
 
   जो मिलने आये उनसे मैं दिल से कहना चाहूंगी शुक्रिया क्यूंकि जब कोई इंसान बीमार हो या तकलीफ में हो तो उसको चाहिए होता है कि उसके पास हर वो इंसान हो जिससे उसको लगाव हो. आप सभी ने ये तो पूछ लिया कि Sushmita क्या हुआ और अब कैसी हूँ मैं ? पर किसी ने ये जानने की कोशिश की .. ऐसा क्या हुआ था? ........अब मैं आप सभी से पूछती हूँ  . हाँ कुछ ने पूछ भी लिया तो फिर ..... किसी ने कोशिश की कि मुझे कैसे खुश रखे उस टाइम .......... मुझे कितना hurt होता था, एक अकेले किसी ने भी मुझे खुश रखने की कोशिश की ?
 
      पूछ लेने से क्या होता है मैं भी कह सकती हूँ ना क्यों show नहीं करते की मेरी भी कोई चिंता करता है? क्या इंसानियत के नाते भी किसी का कोई फ़र्ज़ नहीं मुझे खुश रखे , बल्कि खुश तो छोड़ो तब भी हर कोई अपनी अपनी लगा कर Sushmita तेरी ये गलती है तेरी ये गलती है....


   पता है कितना बुरा लगता है जब हर टाइम कोई आप सभी के बारे में सोचे और जरुरत पढने पर आप उसके लिए एक कन्धा बन के भी साथ ना दे ,,, मैं भी आज कहना चाहती हूँ जब सभी के लिए मैं हमेशा उसी की ख़ुशी हो वो काम करती हूँ तो मेरे लिए कोई क्यों नहीं आगे आता ????? क्यों मेरे लिए एक सवाल बन जाते है आप सभी , मुझे सभी से शिकायत है हो सकता है मैं आज गलत कह रही हूँ ऐसा नहीं हो पर जो मुझे दिखा आज मैं वही कह रही हूँ ,,,, मैं एक ऐसी लड़की हूँ जो दिखता है उसको ना देख कर उस बात की गहराई में जाती हूँ फिर कुछ कहती हूँ.... पर क्यों करू मैं ऐसा??? आप सब भी तो ऐसे ही करते है मैं भी ऐसी ही बन जाती हूँ शायद फिर मैं भी आप ही की तरह बन जाउंगी . पर मैं नहीं चाहती ना की मैं ऐसी हो जाऊ ......


    जो बच्चा बचपन में परिवार के प्यार से दूर रहा हो , एक टाइम आता है जब वो खुद ही सब से अलग अलग रहने लग जाता है. मैं भी अलग अलग रहने लग गयी हूँ आज मैं अपनी कोई भी बात parents से कभी share नहीं करती पर हाँ जब उन्हें मेरी जरुरत होती है मैं जरुर सुनती हूँ . किस माहौल में रहती हूँ कोई किसी से प्यार से बात तक नहीं करता सब अलग अलग रहते है. सभी ने ये तो पूछ लिया तबियत खराब हुई कैसे हुई कभी किसी ने अपने अन्दर झाँक कर नहीं देखा कि कभी इसकी वजह हम तो नहीं, मैंने भी कहा हाँ मैं ठीक हूँ क्यूंकि मेरी वजह से कोई परेशान रहे मुझे पसंद नहीं ..... जो बातें शायद मैं कभी कहती नहीं वो मुझे आज ऐसे कहनी पड़ रही है .... सभी को एक खिलखिलाती Sushmita दिखती है सिर्फ इसलिए क्यूंकि मैं नहीं चाहती की कभी मैं किसी को serious , कम बोलने वाली Sushmita दिखू . जो दिखता है वो कभी नहीं होता और ये सच है.


   मुझे कोई कुछ कह देता है चुप लगा जाती हूँ ज्यादातर बात ही मानती हूँ , पर मुझसे किसी ने कभी नहीं पूछा सब अपनी बात पहले रख देते है और जवाब में उन्हें ये ही चाहिए के उन्ही की बात पूरी हो. कहाँ गलत हूँ मैं ? मुझे खुद नहीं समझ आता .... मतलब मेरी कोई personal choice नहीं रही जिसने जो कहा मान लिया .... क्यों सबकी बातें मानती रहूँ ? आज मैं यह भी नहीं जानती मैं क्या चाहती हूँ ... और सबकी बातें मान कर भी मुझे क्या मिला ? ये ही की Sushmita की ही गलती है , मुझसे कभी किसी ने खुद पूछा मैं क्या चाहती हूँ ? आज मुझे इन सभी सवालों के जवाब चाहिए . मैं अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीना चाहती हूँ . जब मेरी किसी को चिंता नहीं तो मैं क्यों करू ?




   हर बार यही सुनने को मिलता है मैं बहुत ही selfish हूँ अगर सभी को ऐसा ही लगता है  तो सोचते रहो , जिस बच्चे को कभी प्यार ना मिला हो और हमेशा परेशानी देखी हो कहीं न कहीं गलती उस बच्चे की भी नहीं होती. कभी किसी से कोई ख्वाइश नहीं रखती न कुछ मांगती अरे कभी तो समझना चाहिए कि सिर्फ एक ही ख्वाइश रखती हूँ सभी से कि " मुझे समझे बस "....... अगर  मुझे लगता है मेरी बात आप समझे तो हाँ मैं selfish हूँ.




जिसको लगता है मैं अपनी जगह गलत हूँ तो सुधारों मुझे समझाओ मुझे , और अगर मैं सही हूँ तो आज मेरी बातों पर जरुर गौर करे  , कभी कोई ऐसी बात मत करो जो मुझे बुरी लग सकती हो ...
और चाहती हूँ आप मुझे जरुर बताये मेरी क्या गलती है..मैं इंतज़ार करुँगी आपकी कमेंट्स का जिसमें मुझे यही जानना है मैं कहाँ गलत हूँ




काश मैं भी सच में मुस्कुराना जानती ,
जो सब के लिए नहीं कभी अपनी लिए भी मुस्कुराती.





2 comments:

  1. sushmitaji main barish ka foto dekh raha tha ki aapke blog ke is foto par najar ruki. is foto ke sahare ham aapke blog tak pahunch gaye. bahut khub sajaya hai aapne apne blog ko apne emotions ke sath. mai imotional to nahin hun fir bhi ye bahut achha laga. RAHUL MISHRA, rahuljournalist@gmail.com. aapka email address nahin mila nahin to kuchh achhe foto bhejta.

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